भारत के चार धामो में से एक धाम श्री जगन्नाथ पुरी जहां बिज्ञान भी अपने घुटने टेक देता है जाने क्या है रहस्य ?????

जगन्नाथ यानी सारे जग के नाथ पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है. ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार, पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था. वह यहां सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए. सबर जनजाति के देवता होने की वजह से यहां भगवान जगन्नाथ का रूप कबीलाई देवताओं की तरह है. जगन्नाथ मंदिर की महीमा देश में ही नहीं विश्व में भी प्रसिद्ध हैं. भगवान जगन्नाथ को साल में एक बार उनके गर्भ गृह से निकालकर यात्रा कराई जाती है. आज उसी यात्रा का शुभारंभ हुआ है. यात्रा के पीछे यह मान्यता है कि भगवान अपने गर्भ गृह से निकलकर प्रजा के सुख-दुख को खुद देखते हैं. पुरी रथयात्रा के लिए बलराम, श्रीकृष्ण और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथ निर्मित किए जाते हैं. रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है. इसे उनके रंग और ऊंचाई से पहचाना जाता है. पुरी में बना जगन्नाथ मंदिर भारत में हिंदुओं के चार धामों में से एक है. यह धाम तकरबीन 800 सालों से भी ज्यादा पुराना माना ज...